होली
होली
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अबके होली मे ये हाल होगा ..तन अबीर औऱ मन गुलाल होगा..
रंग क़ा मतंग ङोलता है आँग़न मे ..आज़ इस घर हर ग़म हलाल होगा..
हल्की धूप की तपिश मे .. औऱ पानी की बौछारों में
रुठा हुआ वो मौसम ..हम पे फिर निहाल होगा
रिशतों का कुछ दर्द धुलेगा ...फिर प्यार की पिचकारी से
न पुलिंदे होगें शिकायतों के ..औऱ अब न कोई मलाल होगा
मेरे बागीचे के मौसमी फूल पे बैठी हुयी चिङिया ..
कहती है सींचते जाओ..कि इस साल देखना यहाँ कुछ नया कमाल होग़ा
क़िलकारीयाँ शैतानियाँ ..जहाँ पीछे छोङ आये हम ..
वहीं पे नन्हीं हथेलियों मे रंग लिये ..बचपन फिर बहाल होगा
आँसू के पैबंद कटेगें ..बूटे टक़ेगें फिर ख़ुशियों के
मन की सूनी चादर पे देख़ना ..सुबह रंगों का जाल होगा
अबके होली मे ....मन गुलाल होगा!