रावण
रावण
गाथा ब्रह्मा वंशज रावणं
देव दानव प्रथम वंशी रावणं
ब्राह्मंड कुल में जन्मे रावणं
कुल के आखरी दानव रावणं ॥१॥
जन्म से तेजस्वी थे रावणं
दिया पिता ने शास्त्र ज्ञान रावणं
माँ के गर्भ से आसुरी ज्ञान रावणं
नक्षत्र ज्ञान भ्रम्हा से रावणं ॥२॥
सर्व ग्रन्थ कंठस्त रावणं
चारो वेदो के ज्ञानी रावणं
छठ शास्त्र कंठित रावणं
तीन लोक नरेश थे रावणं ॥३॥
मंदोदरी स्वामी थे रावणं
लंका पति थे, वह रावणं
सप्त बालक के पिता थे रावणं
चंद्रमुखी, विभीषण, कुम्भकर्ण जेष्ठ भ्राता रावणं ॥४॥
शिव के सर्वात भक्त थे रावणं
लिंग प्रसन्न, मुख त्याग है रावणं
अमर बीज नाभि स्थापित रावणं
नाम दशानन जग प्रसिद्ध रावणं ॥५॥
शिव द्वार कैलाश वन्दित रावणं
नंदी द्वारपाल, परिहास रावणं
क्रोधित नंदी श्रापित रावणं
लंकादहन वानर कारण रावणं ॥६॥
उठाया परवत पश्चातापी रावणं
स्पर्श चर्न कनिष्का, पीड़ित रावणं
शिव तांडव वर्णित रावणं
भोले प्रसन्न चन्द्रहास उपहार रावणं ॥७॥
वास्तु पूजा शंभो आमंत्रित ब्राह्मंड रावणं
मांगी पारवती दक्षिणा में रावणं
उलझे विष्णु की वाणी में रावणं
स्वयंभू नहीं रूप, निराश रावणं ॥८॥
परास्त कुबेर लंका विजय रावणं
संहारपातालनरेश अनुज अहिरावणं
मेघनाद भेट इन्द्रलोक रावणं
नाम दिया इंद्रजीत पुत्र रावणं ॥९॥
विभीषण राम मिलाप कारण रावणं
सर्वश्रेष्ठ विणा वाजक रावणं
संगीत स्वर कर्न मधुर रावणं
सातो ग्रहो को हड़पित रावणं ॥१०॥
अपराजित घमंडी रावणं
युद्ध ललकार वाली, अहमि रावणं
खोई अर्धशक्ति, अज्ञानी रावणं
वानरराज से हरे रावणं ॥११॥
राम मोहित, बेहेन चंद्रमुखी रावणं
वध सीता प्रयत्न बेहेन रावणं
चिर नासिका लक्ष्मण, शत्रु रावणं
नाम सूर्पनखा लोकचर्चित बेहेन रावणं ॥१२॥
अपमानित सूर्पनखा वचन प्रतिशोध रावणं
सीता सौंदर्य मोहित रावणं
भ्रमित सीता अवतरित साधु रावणं
छल से सीता को हर लिया रावणं ॥१३॥
उड़ते रथ में सीता संग रावणं
गरुड़ वंशज अंतिम चेतावनी रावणं
सीता मुक्ति जटायु युद्ध रावणं
जटायु कारण रावणं ॥१४॥
राम शांति याचना अस्वीकार रावणं
स्त्री मोह में खोया पुत्र रावणं
युद्ध में मरे अनुज कुम्भकर्ण, अहिरावणं
रणभूमि आगमन सर्वशक्तिमान रावणं ॥१५॥
दशरथ नंदन महायुद्ध रावणं
राम विष्णु अवतार अमान्य रावणं
मृत्यु प्राप्त हुई राम से रावणं
ब्राह्मंड वध पाप राम, कारण रावणं ॥१६॥
राम शांति पूजा पाप मुक्ति, रावणं
शिव ने खोया महाभक्त रावणं
देव देवी अंतिम दर्शन रावणं
राम कृत महा ब्राह्मंड रावणं
राम कृत महा ब्राह्मंड रावणं ॥१७॥वध