गुरुकृपा
गुरुकृपा
गुरू मात्रे, गुरू पित्रे
गुरू भ्राते, है गुरू सर्वत्रे
गुरू ही ज्ञान, गुरू ही मान
गुरू सम्मान, है सर्वोत्तम स्थान
गुरू युक्ति, गुरू शक्ति
गुरू भक्ति, में है सबकी मुक्ति
गुरू सन्देश, है गुरू विशेष
गुरू प्रदेश, सभी तिर्थो में श्रेष्ठ
गुरू अग्नि मशाल, ख्याति विशाल
प्रेम बर्से, जैसे वर्षा कि धार
गुरू का ध्यान, चरणों में प्राण
सब कहते है गुरु महान
सब कहते है गुरु महान