सफर
सफर
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प्रेम हुआ पहली नज़र मे
लगे चोरी चोरी दोनो मिलने
यह जोड़ी है कुछ खास
स्वयं विधाता ने लिखे है इसके साज़
कुदरत ने जिनको मिलवाया
न कोई धर्म या जात
उन्हे जुदा कर पाया
बिना बोले समझते थे
एक दूजे की बात
क्योंकि निस्वार्थ था उनका साथ
बड़े निर्भय थे वह राही
सुदृढ़ थी प्रेम रंग की स्याही
२५ वर्षो से चल रहे है यह यार
बेमिसाल, अटल है उनका प्यार