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Sanjay Jain

Classics

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Sanjay Jain

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कल और आज की सोच

कल और आज की सोच

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कल ने कल से कहाँ, 

कल मिलोगे क्या तुम।

आज सुनकर कल पर 

हंस पड़ा।


कल ने पूछा आज से 

तुम क्यो हंसे ?

तो आज ने कल से कहाँ

यही सुनते आ रहे वर्षो से।


पर जिंदगी में कल कभी 

आता ही नहीं।

और तुम कल मिलने को 

बुला हमे रहे।।


इस कल कल के चक्कर में पड़कर

न जाने कितने लोग ने दम तोड़ दिया।

और न जाने कितने लाइन में है खड़े

पर कल तेरा कल कभी नहीं आयेगा।


आज में जीने वाला आज में जीता है

तभी तो खुशाल वो सदा रहता है।

कल वाला काल की चक्की में

पिस्ता रहता हैं कल के चक्कर में।

इसलिए आज कल को,

देखकर बहुत मुस्कराता है।।


कल को छोड़ो तुम

आज को देखो तुम

कल न किसी का हुआ 

और न कल होगा।


इसलिए आज में ज्यादा

होता है वजन।

और जिंदगी कल से,

आज में खुश होती है।


इसलिए आज में जीने वाले छूते हैं,

सफलता की हर मंजिल को।


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