Sanjay Jain

Abstract

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Sanjay Jain

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मूल बात*

मूल बात*

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किसीको क्या दोष दे हम,

जब अपना सिक्का ही खोटा।

दिलासा बहुत देते है, 

स्वार्थी इंसान दुनियां के।


समझ पाता नहीं कोई,

उस मूल जड़ को।

जिसके कारण ही दिलोंं में, 

फैलती है अराजकता।


समानता का भाव तुम, 

जरा रखकर तो देखो।

बदल जायेगी परिस्थितियां,

इस जमाने के लोगों।

बस थोड़ी सी इंसानियत,


दिलोमें जिंदा तुम कर लो।

खुशाली छा जाएगी,

हमारे प्यारे भारत में।


मोहब्बत वतन से करोगे,

तो जन्नत तुम्हें मिलेगी।

अमन शांति का माहौल,

देश के अंदर बनेगा।


और लोगों के दिलों से,

नफरत खुद मिटा जाएगी।

फिर विश्व में भारत का

ही सिक्का सदा चलेगा।


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