STORYMIRROR

Sanjay Jain

Romance

4  

Sanjay Jain

Romance

सुंदरता की....

सुंदरता की....

1 min
69

नही होती सुंदरता किसी के भी शरीर में

ये बस भ्रम है अपने अपने मन का।

यदि होता शरीर सुंदर तो कृष्ण तो सवाले थे

पर फिर भी सभी की आंखों के तारे थे।

क्योंकि सुंदरता होती है उसके कर्म और विचार में

तभी तो लोग उसके प्रति आकर्षित होकर आते है।

वह अपनी वाणी व्यवहार और चरित्र से जाना जाता है

तभी तो लोग उसे अपना आदर्श बना लेते है।

जो अर्जित किया हमनेअपने गुरुओं से ज्ञान

वही ज्ञान को हम दुनियाँ को सुनता है।

जिससे होता है एक सभ्य समाज का निर्माण

फिर सभी को ये दुनियां,सुंदर लगाने लगती है।

इसलिए संजय कहता है, जमाने के लोगो से

शरीर सुंदर नही होता सुंदर होते उसके संस्कार।।  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance