जिस्म के आकार के इतने सन्दूक बना रहा है, जिस्म के आकार के इतने सन्दूक बना रहा है,
एक पूरी होती है तो पीछे से अनगिनत आती है एक पूरी होती है तो पीछे से अनगिनत आती है
अब भी जैसे फिरती तेरी, उँगली मेरी अंखियों पर। अब भी जैसे फिरती तेरी, उँगली मेरी अंखियों पर।
दूर से देखो मिलो, तो ये चमकते हैं पास जितना जाओ, उतना भ्रम टूट जाता है। दूर से देखो मिलो, तो ये चमकते हैं पास जितना जाओ, उतना भ्रम टूट जाता है।
पंथ में तुम किसी के न कंटक बिछाओ, चले उस पंथ तुम जो, तुम्हें वह चुभेगा पंथ में तुम किसी के न कंटक बिछाओ, चले उस पंथ तुम जो, तुम्हें वह चुभेगा
जल की नन्ही नन्ही बूंद और प्यार के मीठे मीठे बोल बने हम.. और हो सके तो तोड़ दें... जल की नन्ही नन्ही बूंद और प्यार के मीठे मीठे बोल बने हम.. और हो सके तो...