इच्छाएं
इच्छाएं
ना यह कभी शांत होंगी
ना हमें शांत होने देंगी
अंधे होकर भाग रहे हैं
सोए हैं पर जाग रहे हैं
इनकी ख़ातिर हर सीमाएं
लाँघ रहे हैं
रुकती नहीं बढ़ती ही जाती है
एक पूरी होती है तो
पीछे से अनगिनत आती है
आकाश के अंत होने का
तो भ्रम होता है
किंतु यह तो कभी खत्म
होने का नाम ही नहीं लेती
ना ही भ्रम होने देती
तृष्णा बढ़ाती है
संकीर्णता लाती है
कोशिश करो रोकने की
तो यह बढ़ती ही जाती है
पर कैसे इस चंचल दिल को
समझाएं
दोस्तों बहुत कठिन है
रोकना आशाएं
