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Geeta Upadhyay

Abstract

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Geeta Upadhyay

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एक कैमरा लगवाते है

एक कैमरा लगवाते है

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काम करके बहुत थी थकी

जैसे ही सोफे पे पड़ी

 कुछ देर को ही आँख थी लगी

तभी डोर बेल बजी

और मैं हड़बड़ा के उठी

दरवाजा खोला


हाथ में रजिस्टर लिए एक

व्यक्ति मुसराते

हुये बोला- मेडम जनगणना के लिए आये है

मुझे लगा की मेरी ऑखो

के आगे तो काले बादल छाए है।


घर में कितने सदस्य है उसने जानना चाहा

हम दो हमारे दो हमने बताया

रजिस्टर पर एंट्री होने लगी

हमें लगा जैसे नदी अपने बांध खोने लगी

क्योंकी साहब अब तो जनसंख्या 

नियंत्रण पर चची होने लगी 

मेडम बहुत थक जाते है। 


एक नौकरी के साथ - साथ सरकार वाले

जनगणना में भी डीयूटी लगवाते है 

अब तो इंडिया ने भी

चाईना से बाजी मार ली 

जनसंख्या मे नः वन आने की

ट्रॉफी हम सबने डकार ली


थकान इतनी थी की मैं जम्भाई रोक न पाई

तभी नाश्ते के बाद खाने वाली

टेबलेट की याद आई

- अरे भैया एंट्री हो गई हो तो जाओ

बहनजी जरा पानी तो पिलाओ 

हमने कहा- नहीं है ठंडा


सादा पानी पीकर बोला फिर वो बंदा

-जरा अपने पड़ोसियों के बारे में बताईये

परेशान हमने कहा-

भैया अब और न हमारा सिर खाईये

दिखाई नही देता इतना बड़ा ताला

आपको देखकर तो लगता है


कुछ दाल में काला

जरा अपना आइकार्ड दिखाना

जनगणना पर आये होतो उसका

कोई एक स्लोगन सुनना

सुनकर वो ठिठका

-अरे आप क्या कहती हो 

लगता है पुरा दिन घर पर अकेली रहती हो


मैं जोर से चिल्लाई -

अजी सुनते हो आईंदा आपने दरवाजा

नहीं खोला तो फिर देखना

जरा इधर आना

वो सकपका के बोला - ना ना ना 

अभी मैने पलक भी नही थी झपकाई


वो बंदा दूर तक भी नहीं दिया दिखाई

कलम और रजिस्टर वही थे पडे

दोनो एकदम खाली

उसकी एक्टिंग थी सौ में से सौ नः वाली

होनी टल चुकी थी

ये तो क्या तब तो 

बच्चे भी घर नहीं थे आये 


हम तो बस युहीं थे चिल्लाये

दोस्तो अब तो अक्सर डोरबेल सुनने पर

कान खडे हो जाते है

सोचते है जल्द से जल्द दरवाजे पर

" एक कैमरा लगवाते हैं। "


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