STORYMIRROR

Geeta Upadhyay

Inspirational

4  

Geeta Upadhyay

Inspirational

कभी ना भूलने वाला सबक

कभी ना भूलने वाला सबक

1 min
244


 अभी और न जानें कितनी श्रद्धायें फसी है चुंगल मे सययादों के

मासूम से दिखने वाले झूठे, फरेबी, मक्कार आफताबों के।

 रिश्ते -नाते तो एक पल में छोड़ चली हो।

 अपने- पराए सब से नाता तोड़ चली हो।

 बेकार दकियानूसी बातें समझकर जिन्हें हवा में उड़ाती हो।।

मॉडर्नता के नाम पर अपनी सीमाएं लांघ जाती हो ।

मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाती हो।

 सुशील,सुघड ,शालीनों को बहनजी टाईप बताती हो।

 35 टुकड़े सुनकर खुली ना आंख तो पछताओगी।

 जीते जी नर्क में सडकर रह जाओगी।

 इतना लगाव था तो फिर क्यों ?

बनी वो टुकड़े......

 और अब तुम भी तैयार बैठी हो।

 पहला वार किया होगा, तो मात-पिता की याद उसे आई होगी।

 उसके आगे कितना रोई -गिडगिडाई होगी।

 दर्द में चीखी -चिल्लाई होगी।

उस क्रूर ,वहशी, दरिंदे को जरा भी दया ना आई होगी।

 सोचकर उसके बारे में दिल दहल जाता है।

 आंखें भर आती है, खून उबाल खाता है।

मिल जाए गर तो टुकड़े-टुकड़े कर दूं ,

बार-बार यह ख्याल आता है।

 अब तो जाग जाओ

 खुली आंखों से मत सोना। 

जानबूझकर अपना जीवन बर्बाद ना होने देना।

 शमां बनकर जला दो ऐसे परवानो को।

 "कभी ना भूलने वाला सबक"

 सिखा दो उन हैवानों को।

                           

   


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational