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Geeta Upadhyay

Inspirational

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Geeta Upadhyay

Inspirational

लगाकर हिंदी की बिंदी

लगाकर हिंदी की बिंदी

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देश की नसों में बहती हिंदी की धार प्रत्येक व्यक्ति का गर्व मान है

देसी विदेशी सभी भाषाओं बोलियों के शब्दों को समेटकर भीतर अपने देती उनको सम्मान है 

अनेकता में एकता का इसने दिया सभी को गुमान है

कागज की धरा पर स्वर व्यंजन शब्दों और वाक्यों का अनुपम जहान है


हिंदी है हम इस पर हमें अभिमान है 

समझना नहीं मुश्किल इसे

वतन के नाम की शुरुआत में ही इसका नाम है 

हिंदुस्तान वतन है मां भारती जान है

*लगाकर बिंदी हिंदी की* बिखेरती मुस्कान है।



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