खरीदों हमसे भी दीये
खरीदों हमसे भी दीये
हमसे भी खरीदों दीपक सभी लोगों,
घर हमारे भी इस तरह रौशन हो जाएंगे।
इस दिवाली के त्योहार में,
हमारे बच्चों के भी मुँह मीठे हो जाएंगे।।
लाये हैं टोकरी भर कर दीपक हम बाज़ार में,
बिके जो दीयों हमारे तो हमारे बच्चों के भी अरमान पूरे हो जाएंगे।
ना था समान कोई हमारे पास दीयों में रंग भरने का,
करो खाली डालियाँ लोगों तो अगली बार दीये रंग-बिरंगे करके लाएंगे।।
बच्चे कब से है राह ताक रहे घर पे मेरी,
नये कपड़े और फूलझड़ियां ले कर मैं आऊंगा।
ना बिके यदि सब दीये आज तो,
बोलो कैसे घर का रूख़ कर पाऊंगा।।
दिवाली त्योहार है बड़ा हम सबका,
बच्चों में आशा उम्मीद की जागी है।
देख कर जगमग गलियनों को,
उनके मन में भी आज घर सजाने की इच्छा है जागी।।
ना जाऊंगा उठ कर इस बाज़ार से तब तक मैं,
जब तक ना खाली दीये का टोकरा हो जायेगा।
ना हुआ खाली यदि टोकरा मेरा,
बोलो कैसे जाकर मुंह अपने बच्चों को दिखलाऊंगा।।
