आदरणीय श्री अटल जी
आदरणीय श्री अटल जी
सूरज सी चमक फैला कर लोगों में अपनी अद्भुत पहचान बना गए।
कोई और नहीं वो आदरणीय अटल जी सबके दिल में सम्मान पा गए।।
थी हाथ कलम और हृदय कोमल सत्ता का भी था भरपूर ज्ञान निरा।
थे अटल विचारों के धनी सो स्मरणीय छाप अपनी सब पर छोड़ गए।।
थी अभिलाष इतनी ही मन में ना रहे कोई भूखा निर्धन, बेघर खाली।
विकसित भारत का सपना लेकर हर पल वो आगे बढ़ते ही गए।।
मन मोह लिया करते थे अपनी पटु वक्त्ता से हर जन का हर बार।
इसलिए पक्ष और विपक्ष की सत्ता में वो सहृदय प्रिय नेता बने रहे।।
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कारगिल युद्ध या आणविक परीक्षण दोनों में विजय पताका लहराई।
प्रखर ज्ञान की शक्ति से अपनी ताकत का लोहा मनवा गए।।
राजनीति के भीष्म पितामह बनाकर जीवन जन सेवा में अर्पित कर डाला।
चार दशक तक रह कर सक्रिय राजनीति में अपना सर्वोपरि दे गए।।
न आहत किया किसी को शब्दों से कर्मठ सच्चे वो सदा बने रहे।
अपने संपादन लेखन के जादू से छाप अमिट सभी पे छोड़ गए।।
भारत रत्न और अन्य उपाधियों से गया नवाज़ा था उनको।
अपने व्यक्तित्व की उपलब्धियों से जन जन को सीख अनोखी दे गए।।