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Madhu Gupta "अपराजिता"

Inspirational Others

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Madhu Gupta "अपराजिता"

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"महाकुंभ"

"महाकुंभ"

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पावन है त्रिवेणी का किनारा, कर लो सब प्रणाम। 

मिलेगा दोबारा नहीं, महाकुंभ का ये पावन स्नान।। 

आता है ये अवसर, एक सौ चबालीस साल के बाद। 

मनाओ ये उत्सव सभी बोलो मिलकर जय जय कार।। 


इस भव्य धार्मिक समारोह में, आते अखाड़े करने को स्नान। 

अनेकता में एकता का कर देता, भव्य दर्शन चारों ओर।। 

समरसता का सुंदर संगम महाकुंभ देश का यह त्यौहार। 

हाथी घोड़े पर सवार होकर आते आचार्य अनेकों हजार।। 


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भक्ति गान कीर्तन और नृत्य के दृश्य लगे बड़े अपार। 

डूब के भक्ति में जन-जन करें गंगा माँ का आवाहन।। 

जाति-पात और ऊंच-नीच का ना रहता कोई भेदभाव। 

महाकुंभ बन जाता आर्थिक लाभ का बहुत बड़ा स्थान।। 


महाकुंभ श्रद्धा, आस्था और संस्कृति का महापर्व महान। 

यह देता सनातन धर्म को एक नया अद्भुत आयाम।। 

सारी दुनिया में होता इस पर्व का हृदय खोल के गुणगान। 

प्रयाग नगरी जगमगा रही है देख लोगो का उत्साह बेमिसाल।।



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