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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Inspirational

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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Inspirational

अपने और गैरों का परिचय

अपने और गैरों का परिचय

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अपनों और गैरों की आज बात बताता हूं

चलो त्यौहारों के इस मौसम में कोन अपना

कोन पराया यह परिचय करवाता हूं ,

मात - पिता जिनसे होती उत्पत्ति हमारी

हो जाते जब पहचान हमारी

चलो उन माता -पिता की व्यथा सुनाता हूं,

हो जिनके बालक अनेकों

उन बालकों के आपस के प्रेम की कहानी सुनाता हूं,

करते हैं हर वर्ष पावन दिवाली पूजन

राम लक्ष्मण और के प्रेम त्याग गृह प्रवेश की

पावन कथा याद दिलाता हूं,

बच्चे जब आपस में बात ना कर पाते

घर के सारे काम और त्यौहार बिगड़ जाते

माता - पिता चाह कर भी खुश रह नहीं पाते

किस का दे साथ, किस का ना दे साथ यह व्यथा दिखाता हूं,

मतलब के रिश्ते पिठ पिछे करते चुगली

और गैरों में मोंह जताते ऐसे भाई से

चलो आज परिचय करवाता हूं,

खुन की एक एक बूंद भी पिला दो

तो कम पड़ जाती,

फिर भी भाई का भाई आपस में बन नहीं पाते,

रिश्तों में आती कैसी दरार बतलाता हूं,

लालच की गहरी खाई जो कभी भर नहीं पाती

रिश्ते की मान मर्यादा, सब लालच कि परछाई

खा जाती, वह परछाई दिखलाता हूं,

वही भाई गैरों में भगवान सा पुजा जाता

हर शुभ काम उससे पुछ के किया जाता

भगवान और इंसान चुनना हो तो उस भाई

को चुना जाता, उन गैरों यानी खुन के रिश्तों

से भी अपनों मिलवाता हूं,

जीवन की अनसुलझी, हर किसी के जीवन में

मौजूद वह कड़वी सच्चाई बतलाता हूं,

लालच को मार के अपना लो अपनों को

लालच कहीं साथ नहीं जाता,

जीतना कमाया काला धन यंही रह जाता

अपने और अपनों का प्यार है वास्तविक धन

चलो उस वास्तविक धन से मिलवाता हूं,

कोन आया पहले, कोन जायेगा पहले यह नहीं मायने रखता,

कोन बडा़ई और कोन बुराई ले

कर जायेगा यह सच्चाई दिखलाता हूं ।।



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