आंखों के आंसू
आंखों के आंसू
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क्यों आंखों के आंसू रह रह के
छलक जाते हैं
वो बिते पल क्यों रह रह के
याद आते हैं
बेबश लाचार क्यों हम हर
पल रह जाते हैं
पास होते हुए भी जाने क्यों
हम अकेले रह जाते हैं
जिते जी शायद हम कदर
नहीं कर पाते हैं
तभी तो खोने के बाद
सिर्फ रोते रह जाते हैं
वक्त के धागे कैसे कैसे
ताने बाने बनाते जाते हैं
कभी जिंदगी की कड़वाहट
कभी जिंदगी की मिठास
कैसे कैसे स्वाद हमारी जिंदगी
में भरते जाते हैं।।