प्रेम और पहरा
प्रेम और पहरा
वक्त बे वक्त अपना हक जताना
कोई नहीं था मैं फिर भी अपना बताना
वह तेरा पल पल मुझे सताना
ना चाहते हुए तेरा ख्याल हो आना
हां, शिव तेरा है यह सबको बताना
लगा ले हर कोई पहरा जितना है लगाना....
रोग ये बहुत बुरा हो गया
ना प्रार्थना काम कर रही
ना लग रही कोई दवाई
यह कैसा है मिलन और कैसी जुदाई
जन्म मरण का ना पहरा है
यह प्रेम सबसे गहरा है
कर ले जिसे जो हो अब करना
अब ना कोई डर है लगना.....
शिव तू मेरा है कह कर पुकार ले
शिव को यह जीवन तेरे नाम है करना
तेरे बिन यारा जी नहीं तेरे शिव का लगना...
कल तक खुद को संभाल नहीं पाता था
उस पड़ रहा तेरा घर संभालना
कर दिया तूने वही जो तुम को था करना
खुश रहे सब बस तुम को यही तो था करना. .