Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

तू कौन

तू कौन

3 mins
15.6K


तू कौन-कौन, क्यूँ मौन-मौन,

अविनाशी नहीं, वनवाशी नहीं,

तू शरीर नहीं, तू मन भी नहीं,

तू दिन भी नहीं, तू रात नहीं,

दीपक भी नहीं, बाती भी नहीं,

तू मृत्यु नहीं, तू जीवन नहीं,

तू क्रोध नहीं, क्रोधी भी नहीं,

तू शांत नहीं, तू शांति नहीं,

तू कलम नहीं, तू दवात नहीं ।


तू पेड़ नहीं, तू छाया नहीं,

तू ज्ञान नहीं, तू ज्ञानी नहीं,

तू लोभ नहीं, तू माया नहीं,

तू अल्लाह नहीं, अकबर भी नहीं,

तू राम नहीं, तू रहीम नहीं,

तू इंसान नहीं, हैवान नहीं,

तू कर्ता नहीं, तू कर्म नहीं,

तू गीता नहीं, तू कुरान नहीं,

वेदों की भी पुकार नहीं ।


तू ठहर-ठहर, तू सोच-सोच,

तू कौन-कौन, क्यों मौन-मौन,

चलता है तू, तो फिर चल-चल,

करता है तू, तो फिर कर-कर,

तू रुकना मत, तू झुकना मत,

तू राहों पर, फिर मुड़ना मत,

तू डगर-डगर, तू चलता जा,

तू पतित-पतित, पावन-सा बन ।


तू क्रोध-क्रोध, मृदुभाषी बन,

तू जहर-जहर, अमृत-सा बन,

तू कहर-कहर, तू ढलता जा,

तू मिटता जा, फिर चहक-चहक,

फिर महक-महक, तू हवा पे उड़,

तू नदी-सा चल, तू कल-कल कर

तू पल-पल चल, तू कलरव कर,

तू हँसता जा, संगीत बजा,

फिर थिरक-थिरक,

और महक-महक, तू चहक-चहक ।


तू नाशी नहीं, अविनाशी है,

तू शहर नहीं, तू गाँव नहीं,

तू देश नहीं, तू विदेश नहीं,

तू सार नहीं, तू अपूर्ण नहीं,

तू पूर्णता है, तू दण्ड है,

प्रचंड है, ब्रह्मांड है,

संसार है, सार है,

खंड-खंड और रोम-रोम,

तेरा चलता है, जब हिलता है ।


नदियाँ सी चलें, उपवन से खिलें,

सूरज चमके, तारे चमकें,

अन्तर्मन में जब दीप जले,

बिजली दमके,, बादल फड़के,

बिगुल बजे, संगीत बजे,

हवनकुण्ड में अग्नि जले,

पहचान तेरी शैतान नहीं,

कुछ अलग नहीं, कुछ विलग नहीं,

तू पाप नहीं, तू पुण्य नहीं ।


सब तेरा है, सब तेरे हैं,

सब-सब तू है, तू तू सब है,

फिर हल्का क्या, फिर भारी क्या,

फिर गलत कहाँ, फिर सही कहाँ,

जब अलग नहीं, तू थलक नहीं,

फिर धर्म कहाँ, फिर अधर्म कहाँ,

तू अंत नहीं, आरंभ नहीं,

तू नीच नहीं, तू ऊँच नहीं,

तू जाति नहीं, तू धर्म नहीं,

तू ग्रंथ नहीं ।


नदियाँ तेरे से चलती हैं,

तूफानों में है वेग तेरा,

सूरज में अग्नि तेरी है,

तू जब झरना-सा बहता है,

झर-झर कर नीर-सा झरता है,

धरती की धरणी तेरी है,

अग्नि की तपन सुनहरी है,

गीता का ज्ञान तेरे से,

तुझ बिन वेद अधूरे से,

जब जब तूने हुंकार भरी ।


तूफान चला, डगमग डोला,

भड़क गया, सब तड़क गया,

सब छिटक गया, सब भटक गया,

प्रलय-सी हुई, सृष्टी सहमी,

डर व्याप्त हुआ, भयक्रांत हुआ,

तू भाव बदल, स्वभाव बदल,

हरीयाली ला, जंगल चल,

तू फूल खिला, छाया-सी बन,

बादल सा उड़, फिर बरस-बरस,

फिर प्यास-बुझा, साथी-सा बन,

खुद प्यार जता, खुद गीत सुना,

खुद राग बना, झंकार सुना ।


तू कोयल बन, तू कू-कू कर,

तू चहक-चहक, तू गहक-गहक,

तू रात बन, तू नींद बुला,

सपने देख, उजाला कर,

सृजन कर, करता जा,

और चलता जा, ब्रह्मांड बढ़ा,

और दीप जला, शंख बजा,

गहक-गहक, और चहक-चहक,

तू चलता जा, बस चलता जा,

बस चलता जा ।


तू पूजा नहीं, तू पाठ नहीं,

तू कर्म नहीं, तू काण्ड नहीं,

तू तू तू है,

तू जब-जब है, तू सब-सब है,

तू कदम-कदम, तू डाल-डाल,

तू बढ़ता जा, बस बढ़ता जा,

तू प्लेंग बढ़ा, अंबर तक जा,

सीमायेँ तोड़

तू तारे गिन, तू सारे गिन,

तू चढ़ता जा, तू बढ़ता जा,

तू पर्वत-पर्वत, घाटी-घाटी,

गाता जा, बस गाता जा,

बस गाता जा ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama