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Vikash Kumar

Tragedy

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Vikash Kumar

Tragedy

( इस तरह जिंदगी को जीना पड़ा)

( इस तरह जिंदगी को जीना पड़ा)

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( इस तरह जिंदगी को जीना पड़ा)


इस तरह जिंदगी को जीना पड़ा,

रिश्तों के लिये विष को पीना पड़ा।


निभाया बहुत पर निभा ना सके,

नफरतों को मोहब्बत कहना पड़ा।


काँटों की नोक पर गुजरती है उम्र,

फूलों की सेज समझ सहना पड़ा।


दर्दे-दिल को समझे नहीं जो दिल,

सफ़र में उन्हें हमसफ़र कहना पड़ा।


जिंदगी है 'कुमार' यूँ ही गुजर जायेगी,

समझाया खुद को और सब सहना पड़ा।



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