राजा हो या रानी
राजा हो या रानी
तज खेती, कर ले मजदूरी, छोड़ अरे नादानी !
देते हैं फरमान यही सब राजा हो या रानी ।
सत्ता पाई सेठ बन गए सेठ बने सत्ता हथियायी,
लक्ष्मी का नाता महलों से दौड़-दौड़ महलों पर धाई ।
गोरी पास रखी, काली को गोरों के देशों में भेजा,
काली भी गोरी होकर ही फिर लौटी महलों में आई ।
खटका लक्ष्मी की नजरों में तेरा दाना पानी ।
छोड़ अरे नादानी !
भरे हुए गोदाम सभी अब कंगाली का गया जमाना,
लाखों टन सड़ गया तुम्हें अब कितना अन्नऔर उपजाना ।
अगर कमी हो गई कभी तो अमरीका से मंगवा लेंगे
पियो सोम-रस, झूमो गाओ, जगह-जगह पर है मयखाना ।
संतोषी ही परम सुखी है, सुन संतों की वाणी !
छोड़ अरे नादानी !
मायापुरी बना लेने दे, रोक न उनके राजपथों को,
खेती दे दे, हरजाने से पाल पोस अपनी पुस्तों को ।
लक्ष्मी खड़ी रिझाने आजा छू ले और देख ले पलभर,
लौटेगी वह फिर महलों को चाहा कब उसने कृषकों को ।
बनकर ही मजदूर तुझे है दर-दर ठोकर खानी !
छोड़ अरे नादानी !
चालें नई-नई चलते हैं लोकतंत्र के राजा तेरे ,
राजधानियों में ठहरे हैं सेठ दलाल डालकर डेरे ।
वन उजड़े खेती उजड़ेगी गांव उजड़कर शहर बसेंगे,
पूंजीवादी सामंतों के पड़ने लगे भयावह डेरे ।
दुहराएगा समय देश की फिर से करुण कहानी ।
छोड़ अरे नादानी !
देते हैं फरमान यही सब राजा हो या रानी ।
तज खेती कर ले मजदूरी,
छोड़ अरे नादानी !
