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Dr J P Baghel

Tragedy

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Dr J P Baghel

Tragedy

राजा हो या रानी

राजा हो या रानी

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तज खेती, कर ले मजदूरी, छोड़ अरे नादानी ! 

देते हैं फरमान यही सब राजा हो या रानी ।


सत्ता पाई सेठ बन गए सेठ बने सत्ता हथियायी,

लक्ष्मी का नाता महलों से दौड़-दौड़ महलों पर धाई ।

गोरी पास रखी, काली को गोरों के देशों में भेजा, 

काली भी गोरी होकर ही फिर लौटी महलों में आई ।


खटका लक्ष्मी की नजरों में तेरा दाना पानी ।

छोड़ अरे नादानी !


भरे हुए गोदाम सभी अब कंगाली का गया जमाना,

लाखों टन सड़ गया तुम्हें अब कितना अन्नऔर उपजाना । 

अगर कमी हो गई कभी तो अमरीका से मंगवा लेंगे 

पियो सोम-रस, झूमो गाओ, जगह-जगह पर है मयखाना ।


संतोषी ही परम सुखी है, सुन संतों की वाणी !

छोड़ अरे नादानी !


मायापुरी बना लेने दे, रोक न उनके राजपथों को,

खेती दे दे, हरजाने से पाल पोस अपनी पुस्तों को ।

लक्ष्मी खड़ी रिझाने आजा छू ले और देख ले पलभर, 

लौटेगी वह फिर महलों को चाहा कब उसने कृषकों को ।


बनकर ही मजदूर तुझे है दर-दर ठोकर खानी !

छोड़ अरे नादानी !


चालें नई-नई चलते हैं लोकतंत्र के राजा तेरे ,

राजधानियों में ठहरे हैं सेठ दलाल डालकर डेरे ।

वन उजड़े खेती उजड़ेगी गांव उजड़कर शहर बसेंगे, 

पूंजीवादी सामंतों के पड़ने लगे भयावह डेरे ।


दुहराएगा समय देश की फिर से करुण कहानी ।

छोड़ अरे नादानी ! 


देते हैं फरमान यही सब राजा हो या रानी ।

तज खेती कर ले मजदूरी,

छोड़ अरे नादानी ! 



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