दोहे सुल्तानी -१०
दोहे सुल्तानी -१०
कहते हो कि दलाल हैं ये नाराज किसान,
भाग्य विधाता हैं, इन्हें मत छेड़ो सुल्तान ।१
इतनी है आकांक्षा, तुमसे कृपा-निधान,
जिंदा रहने दे हमें, धरती पर सुल्तान ।२
जिंदा रहने में अगर, पड़ता हो व्यवधान,
लड़ने दे, अधिकार मत, छीन अरे सुल्तान ।३
खिला समूचे देश को, भूखा रहे किसान,
यही तुम्हारी सोच में, साजिश है सुल्तान ।४
ये किसान ही देश के, हैं असली भगवान,
टकराने की ठान ली, इनसे ही सुल्तान ?५