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Dr J P Baghel

Others

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धन

धन

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धन पाए लालच बढ़ा, पद पाए अभिमान ।

जिनका मन पर संतुलन, वे नर देव समान ।।१

धन वैभव जितना बढ़ा, उतनी बढ़ी न शांति।

मठ, मंदिर, आश्रम गए , पाने को विश्रांति ।।२

धन का, बल का, बुद्धि का, होता जहां विकास ।

आ ही जाता है वहां, सहज आत्मविश्वास ।।३

अकुलाता है धन अगर, हो जाता है श्रेय ।

उछल, बनाता रूप के, दिखलावे को ध्येय।।४

धन पाए नीयत गई , पद पाए ईमान ।

धन, पद बिना बघेल कब , कहा गया इंसान ।।५

धन था, नीयत नेक थी, धन की हुई न वृद्धि।

 पद भी था ईमान भी , आई नहीं समृद्धि ।।६

 धन साधन ऊंची पहुंच, या कि निकट संपर्क ।

गलत सही, सच भी सही, झूठे तर्क वितर्क।।७

     


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