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Dr J P Baghel

Tragedy

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Dr J P Baghel

Tragedy

दोहे सुल्तानी -५

दोहे सुल्तानी -५

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तुमने उनको दे दिए, ऐनक आलीशान,

कैसे कितना क्या कहां, देखें वे सुल्तान ।१


बसी तुम्हारे चरण में, गंगा एक महान ,

जो जो शरणागत हुआ, शुद्ध हुआ सुल्तान ।२


तुमने छोड़ा ही नहीं, खोले जो कि जुबान, 

यही सोच सब मौन हैं, सुन लेगा सुल्तान ।३


नजरें गड़ीं जमीन पर, आसमान में कान,

देखे पर राजी नहीं, सुनने को सुल्तान ।४


होने को तैयार जो, मित्रों पर कुरबान, 

जनता का हमदर्द क्यों, होगा वह सुल्तान ।५


जनता के मन की वहां, कैसे हो पहचान ,

अपने मन की बात ही, करें जहां सुल्तान ।६


प्रभाहीन होने लगे, वहां सभी भगवान ,

जहां परम प्रिय हो गया, भक्तों को सुल्तान ।७


बिना मौत मरता रहा, ज्ञान और विज्ञान,

निगरानी करते हुए, बैठा था सुल्तान ।८


पथ चलते मजदूर के, पग थे लहूलुहान,

देख रहा था बेरहम, पत्थर-दिल सुल्तान ।९


भूली थीं पथ सैकड़ों, ट्रेनें जिस दौरान, 

सोचो कितना कार्यक्षम, था तब का सुल्तान ।१०



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