STORYMIRROR

Dr J P Baghel

Horror Classics

4  

Dr J P Baghel

Horror Classics

बचाओ, रोग विकास हुआ

बचाओ, रोग विकास हुआ

1 min
222

चल पड़े हैं दौरों पर दौर

हमें जब से अहसास हुआ,

बचाओ रोग विकास हुआ !


हुए थे वे उदार पहले,

करेंगे ये निवेश, बोले।

आगई निजीकरण तक बात,

इन्होंने खोल दिए झोले।


रहा है रखवाला ही बेच,

अरे ! कितना बदमाश हुआ,

 बचाओ हो विकास हुआ !


घटे अनुदान किसानों के,

बड़े घपले धनवानों के।

नौकरों पर गिरती हैं गाज,

उड़े हैं होश जवानों के।


गुलामी का लेकर सामान,

चला शासक बिंदास हुआ,

बचाओ रोग विकास हुआ !


रथों में घोड़े दौड़ाए,

धर्म के वैद्य नहीं आए।

लहू का रूप हो गया लाल,

हृदय ने आंसू ढरकाए।


बला बन बैठा पुरुष विकास,

लहू पर ही इतिहास हुआ

बचाओ रोड विकास हुआ ! 

 (विकास अर्थात बेचने की आकांक्षा)

मेरी पुस्तक "समय की पदचाप" से उद्धृत।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Horror