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dineshkumar2017 sharma

Horror Tragedy Crime

4.7  

dineshkumar2017 sharma

Horror Tragedy Crime

लड़की का डर

लड़की का डर

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हर रात,हर दिन ,बस एक ही डर

कहीं राक्षस ना मिल जाये इधर-उधर

वो कहीं भी हो सकता है बाहर या भीतर

वो सोच रही क्यों न बनाया उनमें एक जिगर।


कब तक घर की बंदिशे रक्षा करेगी

कब तक माँ-बाप के आँचल में छुपी रहेगी

घर संभालने के लिए बाहर भी निकलना पड़ेगा

लेकिन डर के साथ कब तक जीवन जीयेगी।


क्यों एक लड़की जकड़ी इस डर से

क्यों यह डर शुरू होता है हर गली घर से

क्यों निर्भया जैसे मामलों से सहमा हर घर

क्यों इंसानियत जन्म न लेती ,ऐसे उर से।


वह सहमी -सी ,दुःखी -सी क्या जानें

अपने अगले पल को कैसे अच्छा मानेें

अब तो हर कदम भी फूँक- फूँककर रखती है

 पर उन दुष्ट राक्षसों को कैसे पहचानें।


कैसै जानें ,कैसे पहचानें पूछ रही भगवान से

क्यों बनाया एक लड़की और किस अंजाम से

क्या जीवन दिया है मुझको डर रही इंसान से

कैसे जीवन जीऊंगी अब, काँप रही जीवनदान से।


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