STORYMIRROR

Ayush Ranjan

Horror

4  

Ayush Ranjan

Horror

राजस्थान का रहस्यमय मंदिर

राजस्थान का रहस्यमय मंदिर

3 mins
586

मित्रों आज मैं आप सभी लोगों को राजस्थान की एक रहस्यमय जगह के बारे में बताने जा रहा हूं। जिससे लोग आज तक बेखबर हैं।हम में से कई लोगो ने इसके बारे में सुना ही होगा पर इस मंदिर के बारे में अलग-अलग कहानियां बनाई जाती है। इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि शाम ढलने के बाद इस मंदिर में कोई रुकता नहीं.इसके आस-पास घूम भी नहीं सकता। क्योंकि जो भी इसके अंदर या आस-पास शाम ढलने के बाद जाता है। तो वह इंसान पत्थर में बदल जाता है।इसमें कितना झूठ या कितनी सच्चाई है। यह तो आप लोगों को वहां जाकर ही पता चलेगा।

आप लोगों को मैं इस रहस्यमय जगह के इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूं कि किराडू मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले के हाथमा गांव में स्थित है।

जिसे 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर इतना सुंदर बना है। कि इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो कहते हैं। लेकिन 900 साल पुराना यह मंदिर की तरफ कई लोगों का ध्यान नहीं गया है।

जिसके कारण यह मंदिर गुमनाम अंधेरों में छिपा हुआ है। यह मंदिर में एक मंदिर शिवजी का है. और दूसरा मंदिर विष्णुजी का है।इस मंदिर की दीवारों पर कलाकृतियां बनी हुई है। जो आपको इतिहास की याद दिला देगी। इस मंदिर के इतिहास के बाद इस मंदिर के रहस्य के बारे में बताते हैंवहां के लोगों के अनुसार आज से करीब 900 साल पहले यह किराडू में परमार वंश का राज्य हुआ करता था।

उस समय में एक दिन एक साधु अपने कुछ शिष्यों के साथ यहां पर रहने को आए थे. और यहां पर कुछ दिन बिताने के बाद उन्होंने सोचा कि थोड़ा और घूमने का निश्चय किया। एक दिन वह शिष्यों को बिना बताए रात को कहीं पर निकल पड़े।उनके जाने के कुछ दिनों बाद सारे शिष्य बीमार हो गए और उन्होंने गांव वालों से मदद मांगी तो गांव वाले लोगों ने उनकी मदद नहीं की।केवल एक कुम्हारिन ने निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा की। जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक हो जाए। साधु घूमने के बाद उसी जगह पर पहुंचे। तो उन्होंने अपने शिष्यों को कमजोर हालत में देखकर बहुत गुस्सा हो गए।उन्होंने सारे गांव वालों से कहा कि जिस जगह पर इंसान-इंसान की मदद नहीं करता।तो उनको जीने का क्या हक है. और तभी उन्होंने पूरे गांव को पत्थर बनने का श्राप दे दिया। शिष्यों की सेवा करने वाली कुम्हारिन को इससे अछूते रखा और शाम ढलने से उसे यहां से बिना पीछे मुड़े इस गांव से निकलने को बोला।

लेकिन उस महिला ने गलती से पीछे देख लिया और वह भी पत्थर की मूर्ति बन गई।नजदीक गांव वालों के पास आज भी उस कुम्हारी की मूर्ति है। इसलिए प्राचीन समय में लोग हमेशा साधु महात्माओं को खुश रखते थे।इस श्राप के बाद कोई भी शाम ढलने के बाद उस मंदिर में नही जाता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Horror