अरदास (विरोधाभास)
अरदास (विरोधाभास)
*My Love God Father shiv*
*ॐ नमः शिवाए*
अब वो दिन दूर नहीं, जब मैं पंच तत्व में मिल जाऊं।।
मैं वो टूटी हुई पुष्पक कली, जिसकी चाहना केवल इतनी सी कि मैं खिल जाऊं।।
मुझ कली को तोडा है, मेरा छीर भंग कर जिसने ।।
लोक लज्जा का नारियल फोड़ा है, पर्याय विपर्याई मर्यादा को भंग किया जिसने ।।
अब वो दिन दूर नहीं जब, देह मेरा लावारिस शव कहलाएगा ।।
मुखौटा हर्ष उल्लास नहीं नाम मेरा तब, ऐतिहासिक भव कहलाएगा ।।
जीवन कलंकित किया जिसने मेरा, मृत्यु कलंक उसी के माथे चढ़ जाएगा ।।
जिसे गिरधारी जान करके किया सब अर्पण, मेरी चिता भस्मी को भी ना छू पाएगा ।।
अब वो दिन दूर नहीं जब मैं, पांच तत्वों में मिल जाऊं ।।
है ईश्वर इतनी सी अरदास मेरी इस, विषाक्त जीवन से मैं मुक्ति पाऊं ।।
नीति ने सहन की अनीति, सहन की अनिंद्र निंद्रा में, लक्ष्मी को कुल अलक्षित कारी ।।
नताशा बताशा सहनकारी, सुभद्रा को कहे भद्रा, भ्रातधार्या शैय्या शयन करे देहधारी गिरधारी ।।
*ॐ नमः शिवाय* , *तू ही मेरा बाबा* , *तू ही मेरी मां* ।।
*तेरे अलावा मेरा कोई ना सगा* , *मेरा कोई ना सगा* ।।

