किस से शिकवा करें हम ?
किस से शिकवा करें हम ?
किस से गिला करे किस से शिकबा करे ?
ना कोई हमारा रहा ना हम किसी के रहेl
रात की चाँदनी से राह बनाते हैं हम,
ख्वाबों की दुनिया में, खोएं रहते हैं हम।
आसमान की ऊँचाईयों से, हवा से बोला,
किस से गिला करें, किस से शिकायत करें ?
दिल से बुलंद रहें, मिलकर जीत हासिल करे ,
ना कोई हमारा रहा, ना हम किसी के रहें।
मुश्किलों का सामना, हंसते चेहरे से,
दिल में उम्मीद, आँधियाँ और भीड़ में।
सिर पे ताज बनाएं, ख्वाबों के महलों के ,
किसी की आँच में, ना हिचके रहें हम।
धूप-छाँव के खेल में, रंग बदलते रहें,
बजते रहें स्वर, संगीत की मिठास में।
ना कोई हमारा रहा, ना हम किसी के रहें,
प्रेम की बातों में, रातें बिताते रहें।
चुपचाप रातों में, सितारों से बातें,
किस से गिला करें, किस से फ़रियाद करे ?
दिल की बातें, अनसुनी राहों में,
किस से शिकवा करें ?बस तुमसे ही बातें।
ना कोई हमारा रहा, मगर दिल में है ख्वाब,
ना हम किसी के रहे, बस तुम्हारी बातें।
चाँदनी की रातों में, छुपा लिए हैं सपने,
तेरी मुस्कान में, बसी है सारी बातें।
चाँदनी की किरणों से, छूपे राज हैं ये,
ना कोई हमारा रहा, ना हम किसी के रहे।
दिल की दहलीज़ओं में, खोए हुए सवाल हैं,
ना कोई हमारा रहा, ना हम किसी के रहे।
प्यार की मिठास में, बुलंद रहता है इस,
किसी से शिकायत, ना कोई इरादा हमारा।
हर एक सुबह में, नए ख्वाब बुनते हैं,
ना कोई हमारा रहा, ना हम किसी के रहे।
धूप की किरणों में, छुपी बातें हैं ये,
ना कोई हमारा रहा, ना हम किसी के रहे।
दिल की गहराइयों में, छुपा है सवाल कुछ,
ना कोई हमारा रहा, ना हम किसी के रहे।
प्रेम की मिठास में, है सुकून के यह पल,
किसी से शिकायत, ना कोई हमारा इरादा।
आसमान की ऊँचाइयों से, गीत गाते हैं हम,
ना कोई हमारा रहा, ना हम किसी के रहे।
कहानी अपनी, लिखते जा रहे हैं हम,
ना कोई हमारा रहा, ना हम किसी के रहें।
रात की ठंडी हवा में, आसमान की राहों में,
किस से गिला करें, किस से शिकवा करें हम ?