STORYMIRROR

Kishan Negi

Horror Tragedy Children

4  

Kishan Negi

Horror Tragedy Children

आख़िर कब तक

आख़िर कब तक

1 min
29

एक मासूम सी बच्ची सड़क किनारे रो रही है

उसका चेहरा बहुत मासूम लगता है

चेहरे की अभिव्यक्तियाँ भोली लगती हैं,

लेकिन उसकी उदासी का कारण कोई नहीं जानता

और कोई भी कभी महसूस नहीं कर सकता

उसके दिल के अंदर छुपे हुए घाव

वह क्यों चिल्लाती है?

वह दर्दनाक आँसू क्यों बहाती है?

उसकी आंखें रोते-रोते थक गई हैं

उसके आंसू जम गए हैं

आज उसके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है

शायद उसे अपना बचपन याद आ रहा है

जब वह बार्बी डॉल के लिए जिद करती थी

अपनी मां की उंगलियां पकड़कर

और पिता का हाथ थाम कर 

बगीचे में तितलियों का पीछा करते थी 

बारिश की बूंदों को चूमती थी 

तालाब में कागज की नाव तैराते समय

क्या उसके दिन वापस आएंगे?

आधी रात को माँ की लोरी सुनना

नीले आकाश में परियों के साथ उड़ना 

शायद वह अभी भी रो रही है

अब उसके आंसू थक गए होंगे

वह अब भी अपने माता-पिता के आने का इंतजार कर रही है

लेकिन वह यह नहीं जानती कि 

उसके माता-पिता कभी वापस नहीं लौटेंगे

भगवान ने उन्हें स्वर्ग में बुलाया है

क्योंकि उसके माता-पिता, क्रूर आतंकवाद के हाथों,

मारे गए हैं मेनचेस्टर बम विस्फोट में

22 मई 2017 को.

आइए हम उसके माता-पिता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें

शान्ति में आराम!

आखिर कब तक चलेगा आतंकवाद का यह घिनौना खेल



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Horror