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Ajay Gupta

Horror

4  

Ajay Gupta

Horror

पूर्णमासी रात में

पूर्णमासी रात में

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शहर के उस पार 

उस सुनसान हवेली में

नहीं जाता कोई 

पूर्णमासी रात में


कहते हैं कुछ लोग बाग 

उस सुनसान हवेली में 

अपने आप बत्तियां जलती है 

उठता है धुंआ गहरा काला 

पूर्णमासी रात में


निकलते हैं चमगादड़ 

गूँजती है चीखें आत्माओं की 

सुन दूर रोती है लोमड़ी 

अंदर हंसती है कटी खोपड़ी 

पूर्णमासी रात में


ना जाने कब से 

पास बने कब्र से 

बुलाती है आवाजें 

भटकती है रूहें 

पूर्णमासी रात में


किसी ने आज तक नहीं देखा 

वहीं चीखती अजीब डरावनी रेखा 

काली सायों में कब्र से निकली 

तड़पती भटकती पुकारती रेखा 

पूर्णमासी रात में।


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