इंजीनियर
इंजीनियर
भारी बारिश की मार,
लिए छाता को तान,
बेहद परेशान इंजीनियर,
देख रहे नदी की कमान,
पिछले 25 सालों बाद इतना पानी है गिर रहा
डेम का जल स्तर इतना तेज है बढ़ रहा
डेम के गेट खोलना है या नहीं फैसला है बड़ा
डाउनस्ट्रीम में तीन गांव शिफ्ट करना है पड़ा
ऐसे अवसर कितने बुरे है लगते
जब बसे बसाए घर है उजड़ते
एक बार फिर नदी की धार है देखी
हे ईश्वर, आप ही सब कुछ करते
आप ही सर्व समर्थ, आप ही ज्ञाता
आप के प्रताप कौन नहीं जानता
हे सर्वज्ञ हे परमात्मा हे जगपालन कर्ता
हर लो यह विघ्न भी हे दुःख हर्ता
करो प्रकाश, सूर्य अम्बर पर आओ,
छटे दुःख के बादल, हर्ष को बरसाओ
इंजीनियर ने फिर फोन निकाला
जिला प्रशासन को तुरन्त लगाया
कॉन्फ्रेंसिंग में ले, दो और अफसर
ऊपर बसे गांव के सरपंच को भी बुलाया
अगर यह बारिश नहीं रुकी इस घंटे,
नीचे के गांव को करने पड़ेंगे खाली
उसके बाद केवल मिलेंगे दो और घंटे,
सरपंच ऊपर के स्कूल में करो तैयारी
कुछ खाने पीने की भी होगी जिम्मेदारी
नीचे गाँवों के सरपंच को बता दिया
एक घंटे में पड़ सकता है पूरा गांव खाली
सरपंच ने पहले कुछ चिल्लाये और दी गाली
तुम लोगों ने डेम बना हमें बर्बाद किया
हम थे खुश, यह तुमने वज्र पात किया
इंजीनियर के सामने कठिन समस्या आयी
अभी समय है शुरू करनी है प्रक्रिया सारी
अब तो एक ही पालनहार है
हर ले जो विपत्ति वही करतार है
बोल नीचे सरपंच चल पड़े
कुछ दुःख कुछ क्रोध से भर पड़े
ऊपर गांव के सरपंच भी निकल पड़े
इंजीनियर ने फिर ऊपर नभ देखा
बादल जैसे धरती को निगलने ही खड़े
तभी ऊपर के डेम को भी खोल दिया गया
जल स्तर कुछ ही क्षण में ऊपर उठ चला
नहीं नहीं यह नहीं डी एम ने आपात बैठक बुलायी
दो वर्कर तैनात कर डी एम को स्थिति बतायी
उसे पहले से इसका पूर्वानुमान, पर विपदा तो आयी
सभी तैनात हर क्षण, बन सकता कोई भी पल दुखदायी
सभी परेशान मना रे भगवान से
लाओ प्रकाश हर लो तम यह सारी
मवेशी और सामान कैसे ले जायेंगे
यह समस्या है बड़ी भारी
तभी धीरे धीरे बादल है छटने लगे
सूरज भी अब है चमकने लगे
राहत की साँस सब लोगों ने पायी
धन्य ईश्वर विपदा से जो मुक्ति दिलायी।