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Ajay Gupta

Others

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Ajay Gupta

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रात्रि और दिवस

रात्रि और दिवस

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सर्वत्र उज्जवल धवल सा प्रकाश 

पूर्ण चंद्र सुशोभित बीच आकाश 

निशाचर निकले करने आखेट 

विचित्र ध्वनियों से भरा वन्य प्रांत 


ऊँचे तरु वर जैसे योद्धा विशाल 

सर्प राज और मृगराज जैसे करे वार्तालाप 

अन्य जीव भी दुबक कर 

सुने निशाचरों के नृशंस आलाप


पत्तियों को धो कर करे यौवन शृंगार 

धरा पर मोती डाले दो अदृश्य कुमार

फूलों को गंध से भर, जा पहुंचा नभ द्वार 

चंद्रिका के रथ पर चढ़ जाने लगे कुमार 


आदित्य ने भेजे पहले भेजे, अपने अरुणिम कुमार 

चंद्रिका किसी तरह ले भागी रात्रि मृदु कुमार 

सर्वत्र लालिमा है विस्तृत, गाए आदित्य स्तुति गान 

खग कलरव कर सुनाए अपने मृदु गान 


बिखरे मोती को उठाने आ गया वीर प्रकाश राज 

नभ में अरुणता वापस आयी अपने नाथ के पास 

दूर कहीं मंदिर में शंख घंटा बाजे ले प्रभु के नाम 

दूर गांव में हलधर चले अपने अपने काम 


दूर आदित्य देख रहा देता सबको ज्ञान प्रकाश 

नमन है भास्कर, भर दो जीवन में उल्लास। 


साहित्याला गुण द्या
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