लखनऊ का वह मंदिर
लखनऊ का वह मंदिर
मैं जब भी लखनऊ के उस मंदिर को जाता हूँ
मंदिर के प्रांगण के सड़क से जुड़े कक्ष मे
कोई भी डॉक्टर अपनी सेवा दे सकता है
डॉक्टर अपने नाम को ऑफिस में रजिस्टर कर
समय और अवधि का स्लॉट ले सकता है
डॉक्टर पराग जिनका ऐसे कभी नंबर मिलता नहीं
मंगलवार प्रातः 11 से 12 आसानी से मिल जाता है.
डॉक्टर जैन ने अभी नामांकन कराया है
बुधवार को शाम 3 से 4 अब वह भी बैठी गी
दिन और समय की सूचना बोर्ड पर रहती है
लोग जो दान पात्र में है डालते उसी से दवा मिलती है
दवा अगर आप खुद खरीद सकते हैं
तो उसका भी ऑप्शन है खुला और
उसे भी दान ही माना जाता है
लोगों की भीड़ हमेशा बनी रहती है
मंदिर के प्रांगण में मरीज़ और बच्चे मिल जाते
उपचार के लिए कोई धर्म या जाति नहीं होती
इसलिए मंदिर में सब जाति के लोग आ जाते हैं
मंदिर है छोटा पर मेरे दिल के करीब है
अंदर राम के भक्त और बाहर
उनके भी भक्त विराजमान है
मैं जब भी लखनऊ के उस मंदिर को जाता हूँ!