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Ajay Gupta

Abstract

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Ajay Gupta

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जीवन चक्र

जीवन चक्र

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नन्हा नन्हा कितना प्यारा बालक 

छोटी अँगुली नाजुक है सर 

माँ की गोद से लगा रहे

बस तुक तुक देखता बालक 

मन ही मन में हंस देता 

भूख लगे तो रोता बालक 

ना सिर है गर्दन पर सम्हलता 

ना आवाज ही पहचानता 

कितना सुंदर माँ का लाडला बालक 


दूध के साथ दाल का पानी पीता 

भूख लगे तो रो रो वह आता 

कभी सम्भलता, कभी वह गिरता 

बॉल के पीछे वह दोड़ जाता 

दादा की अंगुली पकड़ 

दूर दूर तक वह चला जाता 


खिलौने टूटने के लिए ही आते 

कोई घंटे कोई दस दिन ही चल पाते 

कुछ अस्पष्ट बात बनाता 

सब लोगों पर अब हुकुम चलाता 

यह वाला ड्रेस है अच्छा 

बाकी सब फेंक वह आता 

पापा लगा रहे उसका बस्ता

स्कूल जाने में दस नखरे दिखाता 


नयी नयी वह कहानी लाता 

स्कूल में सुना दूसरे का टिफिन वह खाता 

कितना झगड़ा कितना कम्पलेन 

तंग आ गए सुन सुन हर दिन 

खेलता कूदता और वह बढ़ता 

किताबों में भी वह उलझता 

बुआ दे गयी उसको साइकिल 

हर दिन स्कूल उसी से जाता 


खेल कूद सब बंद हो गए 

किताबों ने कर लिया कैद 

बोर्ड नाम का ऐसा बुखार आया 

उसके रूम पर पड़ते रहते रैड

उसकी कोचिंग उसकी क्लास 

मिटी जैसी सारी भूख प्यास 

यह रिजल्ट तेरा भविष्य बनाए 

पापा हर दिन बस यही समझाये 


छोड़ घर का सुकून भरा आँचल 

चल पड़े पढ़ने रहने लगे अब हाॉस्टल 

 दोस्त ही उसके नए संसार 

लेक्चर, मूवी, चैटिंग और वन नाइट्स तैयारी 

सीनियर के नोट्स ही दूर करे सारे दुःख और बीमारी 


कॉलेज के कैम्पस को वह फोड़ 

किसी एमएनसी में हुआ उसका जोड़ 

करने जॉब दूर देश है उसे जाना 

अपनी मिट्टी, अपने लोगों को याद वह आना 

कैसे समझाऊं उसकी माँ को 

कोई विदेशी जब वह पसंद कर ले आना 


दो बच्चे हुए उसके प्यारे 

कोई आया उनको निहारे 

अंग्रेजी में करते वह बातें 

दादा दादी को दूर भगाते 

माँ पापा दोनों सुबह ही निकल जाते 

रोज रात देर से आते 

बच्चे रात भर उन्हें दिनचर्या बताते 

किसी तरह गले लगा सो वह पाते 

जिम्मेदारी की बोझ में जैसे तैसे खुशियां चुराते 

एयरपोर्ट कर हमे वह ड्रॉप 

रोया बहुत वह नान स्टॉप 


नौकरी के चक्कर से हो मुक्त 

शांति की तलाश में वह भारत आ गया 

खाली पड़ा था उसका पुराना घर 

नए रंग रोज़न से फिर जो चमक पा गया 

बच्चे उसके कहीं जॉब है करते 

पर उसे भारत में रहने का मन जो आ गया 

दोनों बुढ़े बुढ़िया रहते इस घर में 

पड़ोसी ने उनका घर सब ठीक करवा दिया 

सुबह वृद्ध हर दिन वॉक पर जाता 

ना जाने कितने दोस्त यहां उसने बना लिया! 


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