पहाड़ो का शहर
पहाड़ो का शहर
वो तारों की कहानियाँ जुगनू की जुबानीया
सुनाने आया है कोई पहाड़ो के शहर
वो सर्दी की रात और लम्हे कुछ खास
गुनगुनाये कोई चांदनी रात मे तारों के साथ मे
वो बारिश के पल भीगे है मन
झूमें ये तन बूंदो के संग थिरके ये कदम
वो ख्वाहिशे हज़ार रंगों के चाहतो मे
खुद को सराबोर कर डुबाये है कोई
वो तारों की कहानियाँ जुगनू की जुबानियाँ
सुनाने आया है कोई पहाड़ों के शहर।