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Neeraj pal

Abstract

5.0  

Neeraj pal

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यम।

यम।

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आत्म दर्शन सुलभ तब जानो, संयम पूरित जब जीवन हो।

"यम सहित, अर्थ है संयम का, इस को अपना आदर्श बनाओ।।


"अहिंसा, यम पहला कहलाता, हिंसा को जो है दूर भगाता।

 प्रेम-भाव करना सिखलाता, जीवन अपना सुखमय बनाओ।।


"सत्य यम, दूजा कहलाता, कथनी-करनी का भेद बतलाता।

 कठिन मार्ग है इस को अपनाना, ईश्वरीय दर्शन को तब तुम पाओ।।


"अस्तेय यम, तीजा कहलाता, चोरी न करना यह सिखलाता।

हक न मारो कभी किसी का, सेवा-भाव को तुम अपनाओ।।


"ब्रम्हचर्य यम, चौथा कहलाता, नियमित जीवन का पाठ पढ़ाता।।

 जीवन अपना पवित्र बनाओ, विषयों को मत साथी बनाओ।।


 "अपरिग्रह यम, पाँचवा कहलाता, संग्रह प्रवृत्ति को यह मिटाता।

भोग वृत्ति को दूर भगाकर, प्रशांत चित्त तुम अपना बनाओ।।


 अगर चाहते हो साधना में सिद्धि, यमों का पालन करना होगा।

" नीरज, संयमित अपना जीवन कर ले, इन नियमों को तुम अपनाओ।।


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