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ritesh deo

Abstract

4  

ritesh deo

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पालना और परवरिश

पालना और परवरिश

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माँ-बाप

माँ-बाप का जिम्मा सिर्फ सुनाना,

बताना,

समझाना नहीं,

बच्चों को सुनना,

समझना,

और बोलने देना भी है।


माँ-बाप का जिम्मा सिर्फ निर्देश देना,

आज्ञा देना नहीं,

बच्चों की भावनाओं को समझना,

और उन्हें उनका साथ देना भी है।

माँ-बाप का जिम्मा सिर्फ अपेक्षाएँ रखना,

और उन पर खरा उतरने का दबाव बनाना नहीं,

बच्चों को प्रोत्साहित करना,

और उन्हें उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करना भी है।


माँ-बाप का जिम्मा सिर्फ प्यार करना,

और बच्चों को सुरक्षित महसूस कराना नहीं,

बच्चों का विश्वास जीतना,

और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना भी है।

जब माँ-बाप अपने बच्चों की परवरिश सही तरीके से करेंगे,

तो उनके बच्चे एक सफल और खुशहाल जीवन जी पाएंगे।


स्वस्थ, सहज रिश्ते

माँ-बाप और बच्चों के बीच स्वस्थ,

सहज रिश्ते तभी बन सकते हैं,

जब दोनों एक-दूसरे को समझें,

और एक-दूसरे का सम्मान करें।


माँ-बाप को अपने बच्चों की भावनाओं को समझना चाहिए,

और उन्हें उनका साथ देना चाहिए।

बच्चों को भी अपने माता-पिता की भावनाओं को समझना चाहिए,

और उन्हें उनका सम्मान करना चाहिए।


जब माँ-बाप और बच्चे एक-दूसरे

की भावनाओं को समझेंगे,

और एक-दूसरे का सम्मान करेंगे,

तो उनके बीच स्वस्थ,

सहज रिश्ते बनेंगे।


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