मोह माया संसार
मोह माया संसार
मोह माया की चाक्की में पीस रहा है एक इंसान,
क्या लाया था साथ ये क्या ले जाये ये संग साथ,
जितना होगा नसीब तेरे उतना हि तो पायेगा तु
यार,चाहे करले जतन हज़ार कभी आएगा ना
नसीब से ज़्यादा नसीब तेरे यार,नाम सिवा ना
पहचान तेरी ये दो कर्मों में देती है बांट कोई याद
करेगा नाम गाली देके तुझे तो कोई याद करे तुझे
संग प्रीत प्यार कर्मों की गिनती वो करता है मेरा
रब वो यार यहीं भुगत के जायेगा धरती का नियम
है यही सच यार,मिट्टी की मूरत है एक दिन हो
जानी जो खाक काहे रुतबे का घमंड करे,इस झूठ
में क्यों जीवे तु यार,अपना प्रराया कोई नहीं सब
मोह ममता बेकार आया अकेला अकेला ही जायेगा
यही कुदरत नियम है सच यार।
