दिल की गहराई
दिल की गहराई
वो पराया था मगर अपना सा लगता था,
दिल के रास्तों का वो मेरे मुसाफिर सा लगता था,
यूँ तो बहुत लोगों की निगाह में थे हम मगर हमारी निगाह का वो एक चुना हुआ हीरा सा लगता था,
चाहत और उलझन हमेशा रहीं साथ में हमारे मगर दिल पर इख़्तियार किसी बात का ना चलता था,
क्योंकि जीने की वो हमारी अब एक वजह बन चुका था, उसकी हर बात हमें अब अच्छी लगने लगी थी,
उसकी बातों की जिक्र में हमेशा हमारे नाम का होना, ये किस्सा हमें बहुत ही खासे महसूस हुआ लगता था,
कभी बताया नहीं उसने हमें राज़ अपने दिल का मगर आँखों का नूर और चेहरे की चमक देख हम
समझ जाया करते थे, की ये रंगत तो सिर्फ हमारे प्यार की ही हो सकती है, जिसका असर हम दोनों को ही
एक दूसरे की आँखों और एहसासों में महसूस हुआ दिखता था, जो कभी पराया था हमारे लिये आज उसी
का होकर, ये दिल अब जीने की तमन्ना में जीने लगा था।

