दिल की गहराई
दिल की गहराई
वो पराया था मगर अपना सा लगता था दिल के रास्तों का वो हमारी कोई पुराना मुसाफिर सा हुआ लगता
था, यूँ तो बहुत लोगों की निगाह में थे हम मगर हमारी निगाह का वो हमें एक बेशकीमती हमारी इस,
मोहब्बत का शुरु हुआ कोई किस्सा या फिर हमारी इस प्यारी सी गज़ल का कोई हिस्सा सा हुआ लगता
था,चाहत और उलझन तो हमेशा हि रहीं साथ हमारे मगर दिल पर इख़्तियार हमारे किसी और बात का
होना नहीं लगता था, हमारे जीने की वो जैसे वजह बन गया था जिसके बिना जीना अब हमारा बड़ा मुश्किल
सा हुआ हमें लगता था, उसकी हर बात हमें जै
से अब अच्छी लगने लगी थीं और उसकी बातों में हमेशा
जिक्र हमारा हुआ लगता था,कभी बताया नहीं था हमें उसने राज़ अपने दिल का कोई मगर उसकी आँखों का
नूर और चेहरे की चमक देख हम भी समझ जाया करते थे, की ये रंगत तो बस हमारे प्यार की हि हो
सकती है, जिसका असर हम दोनों को हि एक दूसरे की आँखों और एहसासों में जैसे अब महसूस होने
लगा था, जो कभी पराया था हमारे लिये आज उसी का होकर, ये दिल अब जीने की तमन्ना में जीने लगा
था और ख्वाहिशों ने जैसे ज़िंदगी की एक नई उड़ान भरने का फैसला कर लिया था।