सच मानो मेरे यारो वो ही, काँटों पर चलकर मंजिल को पाते हैं। सच मानो मेरे यारो वो ही, काँटों पर चलकर मंजिल को पाते हैं।
कदम को कर कठोर तू ख़ुद को जो जलाएगा सदमें हर सफ़र के फिर हँस के झेल जाएगा कदम को कर कठोर तू ख़ुद को जो जलाएगा सदमें हर सफ़र के फिर हँस के झेल जाएगा
निगाह-ए-शर्मगीं चुपके से ले उड़ी मुझ को पुकारता ही रहा कोई बार बार मुझे निगाह-ए-शर्मगीं चुपके से ले उड़ी मुझ को पुकारता ही रहा कोई बार बार मुझे
हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे अब ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम हो गई हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे अब ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम हो गई
निगाहों में क़ैद कर के हर नज़ारे को , घर में बैठ आँखें बन्द कर कई कई बार देखा है । निगाहों में क़ैद कर के हर नज़ारे को , घर में बैठ आँखें बन्द कर कई कई बार देखा है...
हाल जो उसने मेरा पूछा अजब सी लाली मेरे चेहरे पे छाई थी , हाल बता कर अपना जज़्बातों पे लगाम मैंने ... हाल जो उसने मेरा पूछा अजब सी लाली मेरे चेहरे पे छाई थी , हाल बता कर अपना जज़्...