मुलाकात
मुलाकात
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मिले थे जो हम एक अरसे बाद धड़कनें थोड़ी तेज़ थी,
यादें बागी हो गयी थी और आँखें भी तो नम थी....
कदम जो बढ़ाये उसकी ओर सांसों में थोड़ी हलचल थी,
यू तो खड़े थे भरी महफ़िल में पर दरमियान हल्की खामोशी थी....
हाथ तो मिलाया एक ज़माने बाद पर नज़रे अभी भी झुकी थी,
पढ़ न लूँ निगाहों से दिल के जज़्बात शायद यही बात वो सोच रही थी...
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हाल जो उसने मेरा पूछा अजब सी लाली मेरे चेहरे पे छाई थी ,
हाल बता कर अपना जज़्बातों पे लगाम मैंने लगाई थी...
चंद मिनटों की मुलाकात खुशी सदीयों की दे गयी,
पीरो दिए जज़्बात इन लफ़्ज़ों मे क्योंकि
आँसुओ को स्याही करने की एक और वजह जो वो दे गयी