मिटा दो ये दूरियाँ
मिटा दो ये दूरियाँ
मिटा दो ये दूरियाँ जो फ़ासले बन आई हैं तेरी मेरी
इस मोहब्बत के बीच, जो कभी हमारे लिये सहनी भी
मुश्किल थी, कसमें खाई थीं जो हमने एक दूजे का हाथ
थाम आज उनका यूँ दम तोड़ना हमसे सहन नहीं
होता, क्यों बहाने ढूंढ खत्म होने लगी
ये दास्ता मोहब्बत की, क्या गुज़र गये वो लम्हें आज सारे
आपके लिये जो कभी हम दोनों के लिये बहुत खास हुआ करते थे,
जानते गर हम की इस मोहब्बत का
अंत यूँ भी होगा तो हम आपसे दिल लगाने की ये भूल कभी भी नहीं करते,
जितनी दिलकश कभी आपकी ये
बातें हमें लगा करती थीं आज लगता है जैसे आपने
उन्हीं बातों में ज़हर के छिंटे घोल हम पर बरसाने का
पुरा मन बना लिया है, ऐसा आखिर क्यों हुआ की
हम दोनों की इस मोहब्बत में इन दूरियों ने आकर अपना
कब्ज़ा कर लिया, और कभी जो हमारी बातों को
समझने का दावा या बिन हमारे रहने की बेचैनी को
हम कभी महसूस किया करते थे, आज हम उन्हीं बातों को
उनकी नज़रों में ढूढ़ने की कोशिश किया करते हैं,
कभी जिसके लिये ये दूरियां जानलेवा महसुस हुआ करती थीं,
आज वहीं इन दूरियों में खुशी को महसूस
करने लगा किससे कहें और क्या कहें ये समझने समझाने का
किस्सा बड़ा मुश्किल नज़र आने लगा है,
और जहां ये दूरियाँ किसी की नफरत और धोखा बन
बीच आ खड़ी हों फिर तो वहाँ इन दूरियों का मिट
पाना भी बड़ा मुश्किल सा किस्सा मालूम हुआ लगता है,
इसलिए हमेशा याद रहे की कभी भी इन मोहब्बतों
के इन प्यार भरे किस्सों में इन दूरियों को इतना भी ना आने दें,
की जिसका मिट पाना भी फिर आपके हि
वश ना रहे, हमारी दुआ है की वो यार समझे हमारे इस प्यार को
जिसकी खातिर हमने इस जग को भी हमेशा
बेपरवाह और खुद को खातिर उसकी भूलना भी गँवारा किया है।