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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract Romance

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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract Romance

ज़ोया के क़लाम

ज़ोया के क़लाम

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बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन

1222 1222 1222 1222


मिरी ये ज़िन्दगी महबूब, तेरे नाम कर देंगे,

कि इज़हार-ए-मुहब्बत, हम ये सारेआम कर देंगे।


अदालत-ए-अवाम ने, तोहमत हम पर लगा दी है,

चाहे अब जो भी हो, हम ख़ुद को यूँ बदनाम कर देंगे।


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: rgb(0, 0, 0);">शब-ओ-रोज़ ज़ुस्तज़ू तेरी औ तेरी आरज़ू ही है,

बदन, रूह, दिल तो क्या, ये जान भी क़ुर्बान कर देंगे।


ख़ता गर इश्क़ में करली, जो तुमने ऐ मिरे हमदम,

सजा सहकर हमारे सर ये हर इल्ज़ाम कर देंगे।


शुरू तुझसे मिरी तहरीर, तुझ पे ख़त्म होती हैं,

कि तेरे नाम 'ज़ोया' के क़लाम ये सारे कर देंगे।

6th August 2021 / Poem 32


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