STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

बदलाव

बदलाव

1 min
257

जीवन के हर हिस्से मेंं

बदलाव अवश्यंभावी है,

कभी चाहकर, कभी हारकर

बदलाव स्वीकारना ही पड़ता है

तो कभी खुद भी बदलाव से

खुद ही नेह लगाना ही पड़ता है।


बदलाव प्रकृति का नियम है

जिसे हम आप चाहकर भी 

नजरअंदाज नहीं कर सकते,

गुरुर मेंं यदि हम बदलाव से

यदि दो दो हाथ करने लगे तो 

सिर्फ़ मुंह की ही खायेंगे और खिसियाऐंगे।


अच्छा है बदलाव की जब जरूरत हो

तब समय रहते महसूस कीजिए,

समय के साथ ही बदलाव के साथ

बदलाव भी कीजिए और

खुशी खुशी तालमेल कीजिए,

साथ ही यदि आप बदलाव चाहते हैं तो


पहले स्वयं से ही शुरुआत कीजिए,

बदलाव के साथ कदमताल कीजिए,

बदलाव का भी स्वागत, सम्मान कीजिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract