आगाज💫
आगाज💫
महसूस हू मे कहाँ
दलदलासा पुरा जहाँ
जिस्मों से रस्मों से
तोली जाती हू जज़्बातों से
ढलनेवाली समझे
मुझे श्याम पहिली
रौंदा जातू हू बनके
दर्द कि सहेली
पुकारू किन फरिश्तेको
हवस मे डूबे जल्लादोको
खुशियाँ से बेगाणी
उलझीसी मेरी कहाणी
दर्द के आग मे
लिपटी मेरी जिंदगी
तसलिया देकर ना
कर हमसे दिललगी
सुरज छुपाके
अंधेरे को ना दे जगा
रोशनी को समेटके
दिया तू जला
एक दिन ए
कदम भी चलेंगे
हौसले हमारेभी
आसमाँ में जगमगायेंगे।