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Ashwini Chaugule

Abstract

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Ashwini Chaugule

Abstract

तुझसे शिकायत नही

तुझसे शिकायत नही

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तुझसे शिकायत नही जिंदगी

बस खुद से नाराजगी जताती हूं।


दिल के हजारो घाव लेकर

अकेले मे दर्द को सहलाती हूं।


माना छुपा के एक रास गहरा

आंखों मे आंसुओं कैद करती हूं।


हर रिश्तो की कद्र करते हुए

मेरे प्यार के कब्र को सजाती हूं।


उलझी से लम्हे को समेटकर

उसकी यादो मे हरपल जीती हूंँ।


रातो को दर्द दर्द चिल्लाते हुए

चादर की सिलवटे गिनती हूंँ।


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