Jalpa lalani 'Zoya'

Romance

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Jalpa lalani 'Zoya'

Romance

पास आओ कभी

पास आओ कभी

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212  212  212  212

दूर क्यों रहते हो पास आओ कभी,

मेरे दिल को ना इतना सताओ कभी।


बेक़रार है वो भी है मुहब्बत उसे,

इश्क़ है तो उसे फ़िर जताओ कभी।


पलकें यूँ ना झुकाकर रखो ऐ सनम,

नज़रों से नज़रें भी तो मिलाओ कभी।


मिट जाए ये ग़म-ए-दिल सभी इस तरह

इक दफा तो गले से लगाओ कभी।


पूरी कर दो अधूरी मेरी ज़िन्दगी,

तुम शरीक-ए-हयात बन ही जाओ कभी।


ज़िस्म को है ज़रूरी ये क़ुर्बत तेरी,

आग ये रूह की भी बुझाओ कभी।

3rd December 2021 / Poem 49


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