राब्ता
राब्ता
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रिश्तों का धागा होता है कच्चा,
रंग सच जा चढ़े बने पक्का।
दिल की बंधी गिरह अक़ीदे से,
फ़िर मुक़द्दस वो होता है रिश्ता।
इश्क़, एतबार औ समझ से ही
जो जुड़े ऐसा कोई भी नाता।
ज़ोर चाहे करे कोई कितना,
राब्ता ना कभी भी वो टूटता।
