खोल दी ज़िंदगी की किताब अब नहीं रहा दिल में कोई राज़। खोल दी ज़िंदगी की किताब अब नहीं रहा दिल में कोई राज़।
ना जाने आज ये, किसका ख़याल आया है ! ना जाने आज ये, किसका ख़याल आया है !
जब से धोखा खाया ख़ुदा पर अटूट भरोसा करना सीख गए। जब से धोखा खाया ख़ुदा पर अटूट भरोसा करना सीख गए।
भूल न जाना उन ख़ुशियों को ग़म के अँधेरे में। भूल न जाना उन ख़ुशियों को ग़म के अँधेरे में।
ग़ज़ल पढ़कर ये ना कहना, कि 'ज़ोया' तो जज़्बाती है। ग़ज़ल पढ़कर ये ना कहना, कि 'ज़ोया' तो जज़्बाती है।
हमनें तो हरदम उसके ज़ख़्म पर मरहम ही लगाया है। हमनें तो हरदम उसके ज़ख़्म पर मरहम ही लगाया है।